देश, काल, परिस्थिति, समय, स्थान और अवसर के हिसाब से धनात्मक दृष्टिकोण रखने की आदत हमारे निर्णयों को अधिक सशक्त और पैना बनाती है हमें समय समय पर अपने से ज्यादा ज्ञान वाले लोगो से सलाह लेकर अपने निर्णयों को परिष्कृत बनाना चाहिए क्योकिं हर निर्णय से कोई न कोई प्रभावित अवश्य होता है और हमारे निर्णयों के प्रभाव से ऋणात्मक उर्जा का सृजन न हो वरन वह ऐसी धनात्मक वातावरण निर्मित करने वाली विषय स्थिति से जुडी हो जिसका प्रभाव संस्कार रूप में आदर्शों की वसीयतें बन कर खड़ा दिखाई दे |